हे भारत परधान जगो , मैं तुम्हे जगाने आया हूँ ,
सौ धर्मों का धर्म एक , मतदान बताने आया हूँ ।
हे भारत परधान जगो , मैं तुम्हे जगाने आया हूँ,
सौ धर्मों का धर्म एक , मतदान बताने आया हूँ ।
संसद प्रांगण कैद हुआ है , विपक्ष की जंजीरों में
आज बता दो कितना पानी है गुजराती वीरो में ,
खड़ी विपक्ष की फौज द्वार पर, आज तुम्हे ललकार रही,
सोये सेवक जगो भारत के माता तुम्हे पुकार रही ।
चुनाव की भेरी बज रही , उठो मोह निद्रा त्यागो ,
पहला वोट मांगने वाले , माँ के वीर पुत्र जागो।
घोषणाओं के वज्रदंड पर, संकल्पों की ध्वजा जगे,
विपक्ष के शर पैने है,उनका भी तो मजा जगे ।।
चुनाव पंथ के पंथी जागो, जीभ हथेली पर धरकर,
जागो सत्ता के भक्त लाडले,जागो वोट के सौदागर।
बांग्ला वाली दीदी जागे ,जागे झारखण्ड के मुंडा,
बागीचों में हाथी धरने वाली जागे माया की महिमा।
हाथ दिखाने वाला जागे, लेकर अपनी फंतासी,
चंडी चुनाव की घर घर नाचे, वोट मांगे प्यासी प्यासी ।
सबका विरोध मैं स्वयं करूँगा , कहने वाला वाम जगे,
और एक सांसद शेष न जिसका ,वो दल भी गुमनाम जगे ।
वामदलों का हंसिया जागे , जेडीयू का बाण जगे ,
डीएमके का उगता सूरज, जेएम्एम् का धनुष औ बाण जगे ।
मुर्गे वाला नागा जागे , शिवसेना का शेर जगे ,
सत्ता को सदा तरसने वाली,पतंग भी इस बेर जगे ।
हठी वृद्ध जगे जिसने झुकना कभी न जाना ,
जगे चुनाव का चौसर ,जागे प्रचार का गाना ,
मतगणना का जीवित झण्डा , आंकड़ों का दीवाना ,
एग्जिट पोल के वीर जगे ,बुने कोई ताना बाना ।
दक्खिन वाला जगे रजनी , नेता आया है ताजा ,
लड़ने की हठ ठाने फिर, घोटालों वाला ए राजा ,
फिर राजा बुंदेल जागे , अकालियों की कृपाण जगे ,
दो दिन पहले आया जो , कमल हसन की तान जगे |
टीडीपी का जगे मोर्चा , जागे जम्मू की रानी ,
साइकल वाला जगे सैफई का,जगे अमर सिंह बलिदानी ।
बिजूदल का जगे मोर्चा , केरल का मैदान जगे ,
जगे झाडूवाले की खांसी , लालटेन के प्राण जगे ।।
जिसकी छोटी सी पार्टी से ,सब सरकारें हार गयी
एक सीट को जीता, वो पार्टी सात समुन्दर तार गयी ।
गठबंधन का प्राण जगे और लघुदलों का अभिमान जगे ,
सीट गंवाकर मंत्री बनने वालों का बलिदान जगे ,
जो चुनाव की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया ,
स्वयं समर्थन की गाँठ बाँधकर, सातों भांवर घूम गया !
उस नेता की शान जगे , उस नेता की आन जगे ,
ये भारत देश महान जगे ,हर नेता की संतान जगे ।।
क्या कहते हो मेरी पार्टी से मिलकर वो टकराएंगे ?
ऐसे नेताओं को तो हम बाद में अपनाएंगे
हमने उनको कैबिनेट दिया उन्होंने हमको हेट दिया
जब हेट दिया तो ग्रेट किया फिर हमने उनको गेट दिया
आज आया है मतदान शीष पर जिसको आना है आ जाओ,
दीदी-माया नेता-बबुआ जिसमें दम हो टकराओ ।
झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई वोट दान दे दो!
भारत का नेता भूखा है, कोई नोट दान दे दो!
खड़ी सत्ता की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो,
अरे कोई मर्द अपने नाम का बहुमत तो पहना दो!
कौन वीर के परिणामों को अपने नाम करेगा
गठबंधन का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा?
ओ दो सीट हड़पने वालों, कान खोल सुनते जाना,
भारत के नेता की चाहत तो केवल संसद है,
और विपक्षी की कीमत भी पांच बरस की रसद है !
चुनाव के खेतों में छाएगा जब संहिता का सन्नाटा,
वोटों की जब रोटी होगी और वोटरों का आटा,
सन-सन करते नेता डोलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला
फिर चाहे निर्दल हो या फिर कोई दल वाला ।
जो हमसे टकराएगा वो सरक सरक कर आएगा,
इस पार्टी को छूने वाला पार्टी में मिल जायेगा|
मैं घर घर चुनाव की आग जलाने आया हूँ !
हे भारत के परधान जगो मै तुम्हे जगाने आया हूँ |