बुधवार, 18 अप्रैल 2018

दर्द


बहुत सा दर्द गुज़रा है तड़पकर शाम से ।
चलो कुछ देर बैठो साँस भर आराम से ।

बहुत से टूटे दिल हैं ख्वाहिशें हैं जिंदगानीं हैं,
उन्हें भी गुफ्तगू करने दो अपने आखिरी अंजाम से ।

बात अम्मा से कर सको तो रोज़ कर लेना,
तसल्ली उसको मिलती है तुम्हारी खैर के पैगाम से ।।

गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

हे भारत परधान जगो , मैं तुम्हे जगाने आया हूँ ,

हे भारत परधान जगो , मैं तुम्हे जगाने आया हूँ ,
सौ धर्मों का धर्म एक , मतदान बताने आया हूँ ।
हे भारत परधान जगो , मैं तुम्हे जगाने आया हूँ,
सौ धर्मों का धर्म एक , मतदान बताने आया हूँ ।


संसद प्रांगण कैद हुआ है , विपक्ष की जंजीरों में
आज बता दो कितना पानी है गुजराती वीरो में ,
खड़ी विपक्ष की फौज द्वार पर, आज तुम्हे ललकार रही,
सोये सेवक जगो भारत के माता तुम्हे पुकार रही ।
चुनाव की भेरी बज रही , उठो मोह निद्रा त्यागो ,
पहला वोट मांगने वाले , माँ के वीर पुत्र जागो।
घोषणाओं के वज्रदंड पर, संकल्पों की ध्वजा जगे,
विपक्ष के शर पैने है,उनका भी तो मजा जगे ।।


चुनाव पंथ के पंथी जागो, जीभ हथेली पर धरकर,
जागो सत्ता के भक्त लाडले,जागो वोट के सौदागर।
बांग्ला वाली दीदी जागे ,जागे झारखण्ड के मुंडा,
बागीचों में हाथी धरने वाली जागे माया की महिमा।
हाथ दिखाने वाला जागे, लेकर अपनी फंतासी,
चंडी चुनाव की घर घर नाचे, वोट मांगे प्यासी प्यासी ।
सबका विरोध मैं स्वयं करूँगा , कहने वाला वाम जगे,
और एक सांसद शेष न जिसका ,वो दल भी गुमनाम जगे ।

वामदलों का हंसिया जागे , जेडीयू  का बाण जगे ,
डीएमके का उगता सूरज, जेएम्एम् का धनुष औ बाण जगे ।
मुर्गे वाला नागा जागे , शिवसेना का शेर जगे ,
सत्ता को सदा तरसने वाली,पतंग भी इस बेर जगे ।
हठी वृद्ध जगे जिसने झुकना कभी न जाना ,
जगे चुनाव का चौसर ,जागे प्रचार का गाना  ,
मतगणना का जीवित झण्डा , आंकड़ों का दीवाना ,
एग्जिट पोल के वीर जगे ,बुने कोई ताना बाना ।


दक्खिन वाला जगे रजनी , नेता आया है ताजा ,
लड़ने की हठ ठाने फिर, घोटालों वाला ए राजा ,
फिर राजा बुंदेल जागे , अकालियों की कृपाण जगे ,
दो दिन पहले आया जो , कमल हसन की तान जगे |
टीडीपी का जगे मोर्चा , जागे जम्मू की रानी ,
साइकल वाला जगे सैफई का,जगे अमर सिंह बलिदानी ।
बिजूदल का जगे मोर्चा , केरल का मैदान जगे ,
जगे झाडूवाले की खांसी , लालटेन के प्राण जगे ।।


जिसकी छोटी सी पार्टी से ,सब सरकारें हार गयी
एक सीट को जीता, वो पार्टी सात समुन्दर तार गयी ।
गठबंधन का प्राण जगे और लघुदलों का अभिमान जगे ,
सीट गंवाकर मंत्री बनने वालों का बलिदान जगे ,
जो चुनाव की दुल्हन को जो सबसे पहले चूम गया ,
स्वयं समर्थन की गाँठ बाँधकर, सातों भांवर घूम गया !
उस नेता की शान जगे , उस नेता की आन जगे ,
ये भारत देश महान जगे ,हर नेता की संतान जगे ।।


क्या कहते हो मेरी पार्टी से मिलकर वो टकराएंगे ?
ऐसे नेताओं को तो हम बाद में अपनाएंगे
हमने उनको कैबिनेट दिया उन्होंने हमको हेट दिया
जब हेट दिया तो ग्रेट किया फिर हमने उनको गेट दिया
आज आया है मतदान शीष पर जिसको आना है आ जाओ,
दीदी-माया  नेता-बबुआ जिसमें दम हो टकराओ ।


झोली ले कर मांग रहा हूँ कोई वोट दान दे दो!
भारत का नेता भूखा है, कोई नोट दान दे दो!
खड़ी सत्ता की दुल्हन कुंवारी कोई ब्याह रचा लो,
अरे कोई मर्द अपने नाम का बहुमत तो पहना दो!
कौन वीर के परिणामों को अपने नाम करेगा
गठबंधन का पलंग बनाकर उस पर शयन करेगा?


ओ दो सीट हड़पने वालों, कान खोल सुनते जाना,
भारत के नेता की चाहत तो केवल संसद है,
और विपक्षी की कीमत भी पांच बरस की रसद है !
चुनाव के खेतों में छाएगा जब संहिता का सन्नाटा,
वोटों की जब रोटी होगी और वोटरों का आटा,
सन-सन करते नेता डोलेंगे ज्यों बामी से फ़न वाला
फिर चाहे निर्दल हो या फिर कोई दल वाला ।
जो हमसे टकराएगा वो सरक सरक कर आएगा,
इस पार्टी को छूने वाला पार्टी में मिल जायेगा|

मैं घर घर चुनाव की आग जलाने आया हूँ !
हे भारत के परधान जगो मै तुम्हे जगाने आया हूँ |

शनिवार, 7 अप्रैल 2018

चुटकियाँ


विपक्ष  -

सत्ता पाने की खातिर सारे,
जहर बहुत फैला देंगे |
अपने लालच की जद मे आकर,
मुल्क मे आग लगा देंगे ||


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

मीडिया -


सच के पहलू से है गहरी अदावत अपनी |
इस उम्र मे क्या बदलें पुरानी आदत अपनी ||

कभी एक सच बोलें भी, तो किस मुँह से,
झूठ से बरसों रही है चाहत अपनी ||

ये न सोचो कि छोड़ा है, रूह को देने गवाही |
बेचकर खा गये कबकी हम गैरत अपनी ||


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कैबिनेट मंत्री -


अच्छी करें आलोचना भाषण में हैं दक्ष ।
सत्ता में बस नाम है, मन से अभी विपक्ष ।।

देखने में वृक्ष हैं, मगर है लंबी घास ।
कहाँ छाँव के आस में लगा रहे हो बांस ।

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

फुदके मेंढक -


नतमस्तक हो इतराते थे,
शीश झुका के बैठे हैं ।
एक मुंह से दो बातें कहकर,
नाक कटाकर बैठे हैं ।।

लाल किले पर झंडा
राजकुंवर से चढ़वाऊंगा,
ऐसा दम्भ बताने वाले
टैक्स चुरा के बैठे हैं ।।


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

पिद्दीगण -


भरी दुपहरी सपना देखे,
कैसे हो साकार?
दूर दूर तक कही नहीं है,
ऐसे कुछ आसार ।

अपनी बुद्धि दिखाएँ बबुआ,
नित दिन बारम्बार ।
खूब रटें रट रट रगड़ें,
रपटें पर हर बार ।

चाहे तो बन जाएँ हरकुलिस,
कौन करे इनकार ?
मगर देश में ऐसी प्रधानी,
हमें नहीं स्वीकार ।


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

निराश समर्थक -


सरकती जाए है ये सरकार...आहिस्ता आहिस्ता
टूटता जा रहा है करार... आहिस्ता आहिस्ता

सेक्युलर होने लगे जब वो , तो हमसे कर लिया परदा,
तख्त यक्लख्त आया और दरबार ... आहिस्ता आहिस्ता

कई दशकों का जागा हूँ फॉलोवर्स अब तो सोने दो,
कभी फ़ुर्सत मे लेना पुकार ... आहिस्ता आहिस्ता

सवाल-ए-एक्शन पर उनको सभी का ख़ौफ़ है इतना ,
दुबके कर बैठ जाते हैं हर बार  आहिस्ता आहिस्ता

वो बेदर्दी से पलट जाएँ जब चाहें, और मैं कहूँ उनसे.
हुज़ूर आहिस्ता आहिस्ता सरकार आहिस्ता आहिस्ता

हमारे और तुम्हारी बात मे बस फ़र्क है इतना,
इधर तो सीधी-सीधी हैं, उधर की होती लच्छेदार आहिस्ता आहिस्ता ...


ज़रा इनकी मुस्कराहट देखिये


ज़रा इनकी मुस्कराहट देखिये,
आने वाले कल की आहट देखिये

देखिये शर्म को जूतों तले कुचला हुआ
चल रही क्या सुगबुगाहट देखिये

देखिये किस चीज़ की है प्यास इनको,
खून से आती तरावट देखिये

देखिये इनके खुले प्रतिवाद को,
व्यूह की इनके बनावट देखिये

किस किस को रोकिये

किस किस को रोकिये क्या क्या संभालिये ।
अपनों की गलतियों को किस पे डालिये ।।

वो आके चोरी कर लें या डाका दाल दें ,
आप अपनी आँख पे एक पर्दा डालिये ।।

लिबरल सी जिंदगी में फेमनिस्ट शोखियां,
अपनी लड़किओं को इनसे संभालिये ।।

उम्मीद थी नयी बहर का होता कोई असर,
वो कह रहे हैं छूटा मुद्दा अब न उछालिये ।

घुस के बैठे हैं खतरे कितने, अपने पड़ोस में,
चूहों को कैसे उनके बिल से निकालिये ।

कुछ ज्यादा ही खुला है , माहौल शहर का,
खुशनसीब है जिसने बच्चे अपने बचा लिए ।।

किसी राज में आप सी, अन्य विपत्ति न होय

सब भुजंग प्रण किये मन में ही । राम भुवन अब बनन न देहि । नाना जतन करहिं सब द्रोही । राम नाम हन सकहिं न कोई । सत्ता सतत सकल सनेहा । सब स्वारथ संतति संदेहा । आवें धर छल रूप निसाचर । सब छल नष्ट करे प्रभु वानर ।

आप आप में आपदा, आपत्ति न कोय।
किसी राज में आप सी, अन्य विपत्ति न होय।








~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

।। बजरंग बली की जय ।। भक्ति शक्ति और ज्ञान की मुरति सौम्य सुजान । स्मरण मात्र से कष्ट हरें महावीर हनुमान ।। लाल देह कपि रूप के दर्शन से कल्याण । हर संकट से तार दे, बजरंगी का ध्यान ।।

मंगलवार, 3 अप्रैल 2018

आओ भैया आग लगा दो

आओ भैया आग लगा दो,
जा डरी सबई की संपत्ति ।
सब दुकान में लूघर धर दो,
नइयां काऊ खो आपत्ति ।।

आओ बार दो चाट को ठेला,
भेल ,चाप, फुलकी वारो,
फुलकी कम और पानी ज्यादा,
तुमने हमने खूब डकारो

पान को खोका, बीच टिगड्डा ,
चलो फोर दे लाठियन से,
इतयी पान की बना गिलौरी,
रंगी सड़क बेजा मन से ।

आओ मचा दो धमाचौकड़ी,
खूबई ऊधम पाट करो
मारो पीटो जौन मिले से,
गदर मचा उत्पात करो

लेओ लूट लो जैन किराना,
जो चल रई है घाटे में
खूब उधारी ले लें तुमने,
महीना के महीना काटे हैं

काय छोड़ रये मेडिकल जा,
इ में भी आग लगा डारो ।
कपडा वारी, फोन दुकानें,
सबको अबई मिटा मारो ।

सबने लड़कै लगवाये हैलोजन,
बजार में करबे उजियारो ।
मार के लुडिया फोर दे इनको,
फैला दे फिर अंधियारो ।

गाडी फोरो, सड़के खोदो,
बिल्कुल ने रईओ बंधन में
रोको रेल, कछु ने छोडो ,
अपने विरोध प्रदर्शन में ।

आज शहर में कल गलियन में,
परों घरों तक आ जे है,
जहर फ़ैल है तो न सोचो,
कोनऊ कछु बचा पे है ।

मिट जे है कैयन की रोजी,
हो जे हैं कंगाल कई ।
जो कछु मिटा हो बो बनबे में,
लग जे हैं फिर साल कई,

तुमाये पड़ौसी व्यौहार तुमाओ
प्यार से रे हो तुमाई बरकत
नुकसान तुमाओ, तुमाई आफत,
शहर तुमाओ, तुमाई इज्जत